Sunday, January 23, 2011

दो दिन का मेहमान है तेरी यादों का

दो दिन का मेहमान है तेरी यादों का
उसपे यह एहसान है तेरी यादों का

आतीं हें तो फिर जाने का नाम नहीं
यह कैसा रुझान है तेरी यादों का

मन मंदिर में फूल महकते रहते थे
अब गुलशन वीरान है तेरी यादों का

चाक़-गिरेबाँ सबसे छुप-छुप रोते हैं
हमपे यह अहसान है तेरी यादों का

तेरी याद के पन्ने बिखरे रहते हैं
एक पूरा दीवान है तेरी यादों का

दिल के अरमाँ जलते-बुझते रहते हैं
यह तन-मन शमशान है तेरी यादों का

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