Sunday, January 23, 2011

ग़म गुसारों की बात करते हो

ग़म गुसारों की बात करते हो
किन सहारों की बात करते हो

हम सभी मौसमों से गुज़रे हैं
क्यों बहारों की बात करते हो

जिनकी बुनियाद का वजूद नहीं
उन दीवारों की बात करते हो

तुमसे होगी नहीं मसीहाई
क्यों बीमारों की बात करते हो

जिनकी ख़ातिर हुए हो तुम रुस्वा
कैसे यारों की बात करते हो

गुलसिताँ आग के हवाले है
किन चिनारों की बात करते हो

एक जुगनू नज़र नहीं आता
तुम सितारों की बात करते हो

मेरी कश्ती इन्हीं में डूबी है
तुम किनारों की बात करते हो

चाँद पर भी हमें तो ख़ाक़ मिली
तुम सितारों की बात करते हो।

No comments:

Post a Comment